Saturday 6 July 2019

कविता -बेहाल

बेहाल /आभा दवे 
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बेहाल है आलम जिंदगी का
बारिश भी अब कहर  ढाने लगी है
लोगों को अब डराने लगी है
पानी में डूबे रास्ते दिखाई देते नहीं
गड्ढों में जिंदगी जाने लगी है
गर्मी से तो राहत मिल गई पर
मुंबई की बारिश हलचल मचाने लगी है
रेल की पटरियां डूब रही पानी में
रेले भी अब मुंह चिढ़ाने लगी है
मुंबई की जनता जुटा रही साहस
लोगों की मदद को आगे आने लगी है
जिंदगी बेहाल हो रही तो क्या
बारिश सब पर अपना रंग जमाने लगी है ।



आभा दवे 

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