लघुकथा
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*आभा दवे*
*हरा-भरा* लघुकथा
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सुषमा के अनाथालय में आज फिर कोई अपना दुधमुँहा बच्चा छोड़कर चला गया था । बच्चे की रोने की आवाज सुनकर सुषमा दरवाजे पर दौड़ी आई। उसने प्यार से बच्चे को गोद में उठा लिया । बच्चे को ध्यान से देखने पर पता चला वह लड़की है । उसे देखकर सुषमा की आँखों में प्यार उमड़ आया । उसके अनाथालय में लड़कियों की संख्या अब पंद्रह हो गई थी बाकी पाँच लड़के थे ।
तभी बच्चे की रोने की आवाज सुनकर सुषमा की कामवाली बाई भी वहाँ दौड़ी चली आई । उसने सुषमा से कहा -"आज फिर एक नई बच्ची आ गई , पता नहीं किस की औलाद है?"
सुषमा ने दुखी होकर कहा- "किसी के देह व्यापार की औलाद होगी ।" फिर चेहरे पर मुस्कान लाकर बोली देखो "मेरी सूनी गोद को इन बच्चियों ने कैसे हरा -भरा कर दिया ।"
आभा दवे
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