हाइकु*- *अमृत, पीयूष,सुधा पर* / आभा दवे
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1) अमृत धारा
मेघ है बरसाते
प्यास बुझाते ।
2) मस्त पवन
गंगा अमृत पिए
खुश होकर ।
3) अमृत गान
प्रातः की किरणों का
हर्षाए मन।
4) पीयूष बूंद
धरा पर आ गिरी
रूप ओस का ।
5) फूलों का रस
है भौरों का अमृत
होते विभोर।
6) सुधा की बेला
है अक्षय तृतीया
मानते सभी ।
7) सागर मथ
निकला था अमृत
लक्ष्मी प्रकृटी।
8) पी गए विष
नीलकंठ हो गए
अमृत छोड़।
9) देवता गण
पाने को लालायित
अमृत रस ।
10) अमृत ,सुख
दुख है कांटा सदा
जिंदगी यही ।
*आभा दवे*
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