Sunday 14 July 2019

लघुकथा-अस्तित्व /आभा दवे

अस्तित्व /आभा दवे 
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रीना को अस्पताल से एक फोन आया कि तुम्हारी 19 वर्षीय बेटी ने आत्महत्या करने की कोशिश की है ।रीना घबराई सी अस्पताल पहुँची ,उसने देखा उसकी बेटी बेहोशी की हालत में अस्पताल में पड़ी हुई है और उसके हाथ में पट्टी बंधी हुई है । रीना की बेटी की सहेली भी अस्पताल में उसी कमरे में बैठी हुई थी उसने रीना को बताया कि कॉलेज में कुछ लड़कों ने उनकी बेटी मधु  को छेड़ा था और इसी से दुखी होकर उसने यह कोशिश की थी । रीना इस बात से खुश थी कि उसकी बेटी बच गई है।

थोड़ी ही देर में रीना की बेटी मधु को होश आ गया उसने प्यार से अपनी बेटी के सिर पर हाथ फेरा और उसे समझाना शुरू किया "जीवन में इतनी जल्दी हार नहीं मानते अपने *अस्तित्व* की लड़ाई हमेशा लड़ना पड़ती है। यह जीवन बहुत कीमती है इसका सम्मान करो ।" मन की कमजोरी इंसान को अंदर तक हिला देती है इसलिए तुम ने ऐसा कदम उठाया है। जीवन में इस तरह की गलती दोबारा ना हो इसका हमेशा ध्यान रखना।
माँ की स्नेह भरी बात सुनकर मधु की आँखों में आँसू आ गए, उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने माँ के गले लगते हुए कहा "माँ मैं अपने *अस्तित्व* की लड़ाई लड़ सकती हूँ आप जो मेरे साथ हो ।" कमरे में विश्वास की एक रोशनी सी फैल गई।


आभा दवे
8-5-2019 बुधवार



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